एक चमत्कारी तीर्थ स्थल
श्री नाकोड़ा जी जैन तीर्थ राजस्थान के बाड़मेर जिले में स्थित एक प्राचीन और प्रसिद्ध जैन तीर्थ है। यह मेवानगर (पूर्व में नाकोड़ा के नाम से जाना जाता था) गांव के निकट पहाड़ियों के बीच हरे-भरे जंगल में बसा हुआ है। बालोतरा रेलवे स्टेशन से मात्र 13 किलोमीटर और मेवा सिटी से 1 किलोमीटर दूर यह स्थान प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। यहां का मुख्य मंदिर भगवान पार्श्वनाथ (23वें तीर्थंकर) को समर्पित है, जिनकी काले पत्थर की पद्मासन मुद्रा में विराजमान प्रतिमा मुलनायक है। यह प्रतिमा लगभग 58 सेमी ऊंची और अत्यंत चमत्कारी मानी जाती है।
इतिहास और महत्व
नाकोड़ा तीर्थ की प्राचीनता महाभारत काल से जुड़ी मानी जाती है, लेकिन ऐतिहासिक प्रमाणों से यह तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व से जुड़ा है। किंवदंतियों के अनुसार, आचार्य स्थूलभद्र ने यहां मंदिर की स्थापना की थी। मूल रूप से यह महावीर स्वामी का मंदिर था, लेकिन बाद में पार्श्वनाथ जी की प्रतिमा यहां लाई गई। विक्रम संवत 1429 (1373 ई.) में आचार्य उदयसूरीजी ने इस प्रतिमा की प्रतिष्ठा की।
इस तीर्थ की विशेषता है नाकोड़ा भैरव जी (क्षेत्रपाल देवता), जो मंदिर के रक्षक माने जाते हैं। भैरव जी की लाल रंग की प्रतिमा मुख्य मंदिर में ही विराजमान है। जैन धर्म में सामान्यतः भक्ति की यह परंपरा दुर्लभ है, लेकिन यहां भैरव जी को प्रसाद चढ़ाया जाता है और उनकी कृपा से मनोकामनाएं पूर्ण होने की मान्यता है। जैन और गैर-जैन दोनों श्रद्धालु यहां आते हैं, विशेषकर विवाह के बाद दर्शन के लिए।
मंदिर परिसर में अन्य मंदिर भी हैं:
- ऋषभदेव (आदिनाथ) मंदिर
- शांतिनाथ मंदिर
- समोसरण मंदिर
कैसे पहुंचें
- रेल से: बालोतरा स्टेशन सबसे निकट है।
- सड़क से: जोधपुर, बाड़मेर, उदयपुर, जयपुर आदि से बसें उपलब्ध।
- यहां धर्मशाला और भोजनालय की सुविधा है, जहां शुद्ध जैन भोजन मिलता है।
यह तीर्थ चमत्कारों और शांति का केंद्र है, जहां आने वाले श्रद्धालु दिव्य अनुभव करते हैं। “जय नाकोड़ा भैरव बाबा” की जयकार से पूरा वातावरण गुंजायमान रहता है।